इप्का लेबोरेटिज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी रतलाम में कार्यरत मजदूरों के शोषण पर विधायक कमलेश्वर डोडियार ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र।
मध्यप्रदेश के जिला रतलाम में इप्का लेबोरेटरीज प्राईवेट लिमिटेड के द्वारा कंपनी में काम करने वाले मजदूरों एवं अन्य कामगारों का शोषण करने के संबंध में उच्च स्तरीय जांच श्रमायुक्त इंदौर मध्यप्रदेश के माध्यम से कराए जाने बाबत्।
जिला रतलाम में इप्का लेबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड के संचालकगणों द्वारा निरंतर रूप से मजदूरों के साथ शोषण किया जा रहा है एवं उन्हें श्रम कानूनों के अंतर्गत वेतन भत्ते एवं अन्य सुविधाएं भी प्रदान नहीं की जा रही है, जिसके संबंध में इप्का लेबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड में कार्यरत मजदूरों द्वारा दिनांक 10.6.2024 से दिनांक 14.6.2024 तक सांकेतिक रूप से हड़ताल करते हुए कलेक्टर जिला रतलाम को लिखित शिकायत सहित अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन दिया गया था, परंतु उक्त मांगों के समर्थन में संबंधित कलेक्टर जिला रतलाम द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। इप्का लेबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारियों की मांगें निम्नानुसार है।
1. इप्का कंपनी के अंदर कार्यरत आठ घंटे की ड्यूटी के 500 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से अनिवार्य रूप से दिए जाएं।
2. इप्का कंपनी के केमिस्ट एवं कंपनी के गार्ड तथा सुपरवाइजर मजदूरों को आठ घंटे ड्यूटी करने की बजाय जबरिया रूप से 12 घंटे ड्यूटी करने पर विवश करते हैं और यदि कोई कर्मचारी / मजदूर कंपनी के उक्त कर्मचारी-अधिकारियों की बात को नहीं मानते हैं तो उनके साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है और उन्हें ब्लैक लिस्ट कर टर्मिनेट करने की धमकी दी जाती है।
3. इप्का कंपनी में कार्यरत सभी अस्थायी श्रमिकों का बीमा अनिवार्य रूप से कराया
4. इप्का कंपनी में कार्यरत किसी भी श्रमिक की किसी भी प्रकार की शारीरिक हानि या दुर्घटना घटित होने पर श्रम कानूनों के अंतर्गत आर्थिक सहायता तत्काल प्रदान की जाए।
5. इप्का कंपनी में कार्यरत सभी श्रमिकों से कंपनी के अंदर के स्टाफ एवं सुपरवाइजर द्वारा सम्मान पूर्वक वार्तालाप किया जाए तथा अभद्र भाषा के प्रयोग पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाया जाए।
4. इप्का कंपनी के अंदर केंटीन एवं चाय-नाश्ता व खाना अत्यंत घटिया क्वालिटी का दिया जाता है। जब इस संबंध में अस्थायी श्रमिक आवाज उठाते हैं तो उन्हें चुप करा दिया जाता है।
5. इप्का कंपनी के अंदर प्रबंधन द्वारा जानबूझकर ब्लैक लिस्ट किए गए सभी श्रमिकों को ब्लैक लिस्ट सूची से बाहर करते हुए उन्हें पुनः कंपनी में काम पर लगाया जाए।
6. इप्का कंपनी के अंदर आउट मशीन लगाई गई हैं, जिनकी संख्या पांच है, लेकिन उनमें से दो मशीन ही सही चल रही हैं और तीन मशीनें खराब पड़ी हैं, जिनकी वजह से श्रमिकों को पांच मिनट लेट छोड़ा जाता है, जिसके कारण उनकी बस निकल जाती है और जानबूझकर उक्त श्रमिकों को लेट छोड़ा जाता है।
7. इप्का कंपनी में कार्यरत सभी स्थायी एवं अस्थाई श्रमिकों के आइडेंटी कार्ड अनिवार्य रूप से जारी किए जाएं।
8. इप्का कंपनी में कार्यरत अस्थायी श्रमिकों को महीने में चार छुट्टी श्रम कानूनों के अंतर्गत अनिवार्य रूप से मिलनी चाहिए, जिसकी कोई भी राशि छुट्टी के दिन की नहीं काटी जानी चाहिए, जो कि पूर्णतः श्रम कानूनों का उल्लंघन है।
9. इप्का कंपनी में दिनांक 10.6.2024 से दिनांक 14.6.2024 तक उक्त कंपनी में हड़ताल करने वाले सभी श्रमिकों को कंपनी की ओर से ब्लैक लिस्ट नहीं किया जाए एवं उन्हें काम से बंद नहीं किया जाकर उन्हें उक्त समय का भी संपूर्ण वेतन दिया जाए।
10. इप्का कंपनी के गेट नंबर 4 पर दीपक के द्वारा अस्थायी श्रमिकों को जब वह सुबह 6.30 से 7 बजे तक कंपनी के अंदर जाने का समय रहता है, लेकिन कभी बस वाले की गलती से पांच मिनट श्रमिक लेट हो जाते हैं तो कंपनी के अंदर उक्त श्रमिकों को लेने से मना कर दिया जाता है तथा धक्के मारकर एवं मां-बहन की गंदी-गंदी गालियां देकर उन्हें भगा दिया जाता है। ऐसी अभद्र भाषा एवं गाली-गलौज करने वाले कर्मचारी दीपक को कंपनी से हटाया जाए।
11. इप्का कंपनी में प्रति 6 माह में मजदूरों को नए सेफ्टी शूज कंपनी की ओर से मुफ्त रूप से अनिवार्यतः दिए जाएं।
12. 12. इप्का कंपनी के गेट नंबर 3 पर कंपनी के गार्ड हनुमान पाण्डेय, मनीष राठौर, संजय
4 में शर्मा, रमेश पटेल, केपी राठौर, शरद शर्मा द्वारा अस्थायी श्रमिकों के साथ अभद्र व्यवहार किया जाकर उन्हें मानसिक प्रताड़ित किया जाता है। इस प्रकार के कंपनी के गाडौँ के विरुद्ध तुरंत कार्यवाही करते हुए उन्हें इप्का कंपनी से हटाया जाए।
13. इप्का कंपनी के कर्मचारी नेता पर प्रबंधन के दबाव में संबंधित थाने में दर्ज कराई गई झूठी प्रथम सूचना रिपोर्ट, आईपीसी की धारा 341, 323, 294, 506, 34 को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए।
मजदूरों के हित में कार्यवाही करते हुए इप्का कंपनी प्रबंधन द्वारा की जा रही मनमानी एवं मजदूरों के शोषण एवं उन्हें ओव्हर टाइम नहीं दिए जाने एवं अन्य सुविधाओं से वंचित करने के संबंध में उच्च स्तरीय जांच श्रमायुक्त इंदौर के माध्यम से अनिवार्य रूप से कराई जाए।